श्लोक:
न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः। अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥
अनुवाद: "न तो यह आता है और न मरता है, यह न तो पहले कभी नहीं था और न आगे कभी होगा। यह अजन्मा है, नित्य है, शाश्वत है, और यह शरीर में होने पर भी नहीं मरता।"
यह श्लोक आत्मा के अमरत्व और शरीर के मानवीय अस्थायित्व को व्यक्त करता है और मृत्यु के प्रति अनंत जीवन की घोषणा करता है।
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