लंका दहन: हनुमान का अद्वितीय उद्दीपन

"लंका दहन: हनुमान का अद्वितीय उद्दीपन" रामायण महाकाव्य के एक महत्वपूर्ण प्रसंग का विवेचन करता है जिसमें हनुमान ने लंका को आग लगा दी और इससे एक महत्वपूर्ण घटना को पूर्ण किया। इस अध्याय में, हनुमान का साहस, उसकी वीरता, और राम के साथी के रूप में उसका अद्वितीय उद्दीपन होता है।

लंका दहन का क्षण वह अवसर था जब हनुमान ने लंका में दीपक लगाकर उसे आग से भर दिया और सीता माता की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। इस कृत्य से हनुमान ने अपने साहस, बुद्धिमत्ता, और अनदृढ़ श्रद्धा का प्रदर्शन किया, जो रामायण के आध्यात्मिक और नैतिक सिद्धांतों को प्रमोट करता है।

इस घटना में, हनुमान का सीता माता के प्रति अपना अनंत प्रेम और राम भगवान के सेवक के रूप में अपना पूरा समर्पण दिखाया गया है। उन्होंने अपनी असीम शक्तियों का उपयोग सीता माता को सुरक्षित पाने के लिए किया और असुरों की राजधानी लंका को दहन करके राम भगवान की सेना के लिए मार्गदर्शन किया।

"लंका दहन: हनुमान का अद्वितीय उद्दीपन" रामायण महाकाव्य के महत्वपूर्ण प्रसंगों में से एक है जो धर्म, साहस, और अनुष्ठान के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को प्रमोट करता है। इसके माध्यम से पाठक रामायण के उद्दीपनशील सन्देशों को समझ सकते हैं और उससे अपने जीवन में नैतिकता और धार्मिकता के प्रति प्रेरित हो सकते हैं।