Characters:
- मोहन - एक मस्तिष्क वाला और भोले भाले युवक।
- रमेश - मोहन का शरारती दोस्त।
- आरती - मोहन की आकर्षक पड़ोसन।
- बॉस - मोहन का कठोर और चिढ़चिढ़ाता नियोक्ता।
- बृंदा - मोहन की चिड़िया, जो समय-समय पर बोलती है।
Scene 1: मोहन का घर - रसोई
(मोहन अपने घर की रसोई में कुछ काम कर रहा है। रमेश उसके पास आता है।)
रमेश: मोहन, तूने देखा? वह नया खिलौना दुकान पर आ गया है। हमें उसे लेकर खेलना चाहिए!
मोहन: खिलौना? पर मैंने तो कहा था कि मुझे खिलौने से डर लगता है।
रमेश: अरे, तू फिक्र मत कर! यह खिलौना बहुत अजीब और मजेदार है। हम उसके साथ कुछ मज़ेदार करेंगे!
Scene 2: खिलौना दुकान
(मोहन और रमेश खिलौना दुकान में पहुंचते हैं। वहां एक विशेष खिलौना प्रदर्शित हो रहा है।)
दुकानदार: यह लीजिए, सर्कस भाईयों का अजीब खिलौना! यह आपको खुद कोणा-कोणा घुमाएगा!
रमेश: देख मोहन, यह तो हमारे लिए बना हुआ ही है! हमें इसे खरीदना चाहिए!
मोहन: (हिचकिचाते हुए) ठीक है, लेते हैं!
Scene 3: मोहन का घर - बैठक गृह
(मोहन और रमेश घर ले जाते हैं और खिलौना का प्रयोग करते हैं।)
रमेश: (खिलौने को चलाते हुए) देख, मोहन, यह खिलौना यातायात में है!
मोहन: वाह! यह तो सचमुच मजेदार है। चल, हम इसे अपने बॉस के सामने चलाएंगे!
Scene 4: मोहन के ऑफिस - बॉस के केबिन
(मोहन और रमेश बॉस के केबिन में जाते हैं।)
मोहन: (खिलौने को चलाते हुए) देखिए, सर, मैंने यह नया यातायात खिलौना खरीदा है।
बॉस: (हैरान) क्या? खिलौना? तुम यहां खिलौनों से खेलने आए हो?
रमेश: (हंसते हुए) नहीं, सर, यह खिलौना वास्तव में अजीब है। देखिए!
(मोहन और रमेश खिलौने को चलाते हैं, जिससे बॉस और दूसरे कर्मचारी हंसते हैं।)
Scene 5: मोहन का घर - रसोई
(मोहन अपने घर में रसोई में खिलौने को चलाता है। बृंदा उसे देखती है और बोलती हैबृंदा: अरे, मोहन भैया, यह तो मेरे दिमाग की बात समझ गया! मुझे भी एक ऐसा खिलौना चाहिए!
(मोहन हँसता है और बृंदा को खिलौने का एक दूसरा प्रति देता है।)
मोहन: यह रखो, बृंदा, तुम्हारे लिए एक खास खिलौना। यह तुम्हें हर दिन हँसाने के लिए होगा!
(सभी मिलकर हंसते हैं, साथ ही खिलौने भी हंसते हैं।)
Scene 6: खिलौनेवाला भूत का अद्भुत कारनामा
(मोहन, रमेश, और आरती अपने घर के बाहर घूम रहे हैं। वहां एक पुरानी हावभावित हैवेली है।)
आरती: आप दोनों को एक बात बताती हूँ, यहा भूतों की एक कहानी चलती है।
रमेश: (डरते हुए) क्या? यहा भूत हैं? हमें इससे दूर रहना चाहिए!
मोहन: नहीं, रमेश, यह सिर्फ एक कहानी होगी। चलो, एक नज़र डालते हैं!
Scene 7: हावभावित हैवेली
(मोहन, रमेश, और आरती हावभावित हैवेली में प्रवेश करते हैं। वे अलग-अलग कमरों में घूमते हैं।)
मोहन: (खिलौनेवाला भूत को बुलाते हुए) अरे भूत भैया, आप कहाँ हैं? दिखिए ना!
(एक छोटी सी भूत आत्मा, जिसे खिलौनेवाला भूत के रूप में दिखाया जाता है, सामने आती है।)
भूत: नमस्ते, मैं तुम्हारा खिलौनेवाला भूत हूँ। क्या तुम मेरे साथ खेलना चाहोगे?
रमेश: (डरते हुए) नहीं, धन्यवाद! हमें कुछ और देखने की ज़रूरत है।
आरती: रमेश, यह तो खिलौना ही है। देखो, हमारे साथ मज़ेदार कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।
Scene 8: मस्ती और हंगामा
(मोहन, रमेश, और आरती खिलौनेवाला भूत के साथ मस्ती और हंगामा करते हैं। वे खिलौनों के साथ नाचते, गाते, और मज़े करते हैं।)
भूत: देखो, मैंने तो तुम्हें खेलने के लिए हंसने का सबसे अच्छा तरीका बताया था!
मोहन: तुमने बिल्कुल सही कहा, भूत भैया! हमें बहुत मज़ा आ रहा है!
Scene 9: सबकी खुशी का उड़ान
(सभी खिलौनों के साथ मस्ती करते हुए, मोहन, रमेश, और आरती हंसते हुए ऊँचाई से उड़ते हैं। वे देखते हैं कि बॉस भी खुश होकर हंस रहा है।)
मोहन: (बॉस के पास जाते हुए) देखिए, सर, हम खिलौनों के साथ कितना मज़े कर रहे हैं!
बॉस: (हंसते हुए) हाँ, तुम लोग बहुत ही शरारती हो! मुझे भी तुमसे मिलकर मज़े आ रहे हैं!
(सभी मिलकर हंसते हैं, साथ ही भूत भैया और बॉस भी खुशी से हंसते हैं।)
Scene 10: खिलौनेवाला भूत का अंतिम खेल
(मोहन, रमेश, आरती, और भूत एक खेल में लगे रहते हैं। वे हैवेली के भीतर भागते हैं, टकराते हैं, और मस्ती करते हैं।)
रमेश: यह खेल हमारे लिए एक अद्भुत अनुभव है! हमें और खेलना चाहिए!
मोहन: हाँ, यह खेल हमें असली दोस्ती और मज़े की महसूस कराता है। चलो, हम इसे खेलते रहें!
Scene 11: सबकी मित्रता की जीत
(खेल के दौरान, सभी खिलौनों के साथ आरती और भूत एक-दूसरे से जुड़ते हैं और एक साथ हंसते हैं।)
आरती: देखो, हम सब एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए हैं! यह सचमुच एक खास और यादगार दिन है!
भूत: हाँ, आरती बेटा, तुमने सही कहा! हम सभी के बीच एक खास बंधन हो गया है!
(सभी मिलकर एक दूसरे के साथ बहुत खुश होते हैं और एक साथ हंसते हैं।)
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