"परेशानियों का पिटारा" (The Box of Troubles) :- Omnath Dubey

Title: "परेशानियों का पिटारा" (The Box of Troubles)

Characters:

  1. राजू - एक भोले-भाले और अव्यवस्थित युवक।
  2. बाबू - राजू का शरारती दोस्त।
  3. पूजा - राजू की प्यारी, जो उससे हमेशा एक कदम आगे होती है।
  4. बॉस - राजू का कठोर और चिढ़चिढ़ाता नियोक्ता।
  5. चिंटू - मस्ती भरे अनोखे शख्स।
  6. दादी - राजू की बुद्धिमान और वित्तीय दादीमा।

Scene 1: राजू का घर - लिविंग रूम

(राजू सोफे पर बैठा हुआ है, टीवी देख रहा है। बाबू अनोखा पिटारा लेकर आता है।)

बाबू: राजू, देख यार! मैंने मार्केट से एक ऐसा अजीब सा पिटारा खरीदा है। कुछ जादूई चीज़ है!

राजू: जादू? मुझे तो जादू से डर लगता है।

बाबू: अरे, तू फिक्र मत कर। इस पिटारे से हम कॉमेडी वाली कहानी बनाएंगे!

Scene 2: ऑफिस

(राजू अपने ऑफिस में काम कर रहा है। उसका बॉस आता है।)

बॉस: राजू, तुम्हारा काम इतना स्लो क्यों होता है?

राजू: (घबराकर) सर, मैं तो त्राई करता हूँ, लेकिन...

बॉस: बस बस, कोई बहाना नहीं चलेगा। अगर कल तक काम नहीं हुआ, तो तुम्हारी नौकरी चली जाएगी!

(राजू चिंतित दिखता है और बाबू पिटारे के साथ आता है।)

बाबू: राजू, ये लो पिटारा। इसका एक जादू है, जो तुम्हारी परेशानियाँ दूर कर देगा!

Scene 3: राजू का घर - लिविंग रूम

(राजू पिटारा खोलता है। धुंधली धुंधली धुंध उठती है, और दादी जादू से प्रकट होती हैं।)

दादी: अरे, मेरे राजू! परेशानियों की रानी दादी आ गई है।

राजू: दादी, आप यहाँ कैसे?

दादी: वो बाबू ने मुझे पिटारे से निकाला है। अब चलो, परेशानियों का सामना करते हैं!

Scene 4: ऑफिस

(राजू उम्दा गति से काम कर रहा है, अपने बॉस को प्रभावित करते हुए।)

बॉस: राजू, तुमने आज काम बहुत तेज़ी से किया है। अच्छा किया!

(राजू दादी की ओर देखता है और मुस्कान छोड़ता है।)

Scene 5: कॉलेज कैंपस

(राजू पूजा को चिंटू के साथ बात करते हुए देखता है, जहास्यास्पद रूप में।)

राजू: दादी, पूजा मुझसे दूर हो रही है!

दादी: अभी दिखाती हूँ तुझे कैसे उसका दिल जीतना है।

(दादी एक मजेदार नृत्य करती है, चिंटू को शर्मिंदा करते हुए और पूजा को हँसाते हुए।)

पूजा: राजू, तुम कितने मजेदार हो!

Scene 6: राजू का घर - लिविंग रूम

(राजू और बाबू दादी के साथ बैठे हुए हंसते हैं।)

बाबू: राजू, दादी का पिटारा सचमुच जादू से भरा है!

दादी: परेशानियों का पिटारा है, बेटा। हर मुसीबत को हंसी में बदल देता है।

राजू: मुझे तो यह पिटारा हमेशा के लिए चाहिए!

(वे सभी मिलकर हंसते हैं, जबकि स्क्रीन धीरे-धीरे फेड़ होती है।)

Scene 7: मार्केट

(राजू, बाबू और दादी मार्केट में घूम रहे हैं। वहां एक आभूषण की दुकान है।)

राजू: दादी, यह देखो! वहां एक आभूषण दुकान है। मुझे पूजा के लिए कुछ अद्भुत खरीदना है।

दादी: अच्छा, वहां चलते हैं!

(राजू और दादी दुकान में जाते हैं। दुकानदार उन्हें विभिन्न आभूषण दिखाता है।)

दुकानदार: यह गहने आपके लिए खास हैं, सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता में।

राजू: (सोचते हुए) दादी, मैं कौन सा आभूषण खरीदूं?

दादी: राजू, क्यों नहीं एक वाहन आभूषण खरीदते हैं? वह पूजा को हंसा-हंसाकर देगा!

राजू: हाँ, बहुत अच्छा विचार है, दादी। वही लेते हैं!

(राजू और दादी एक मजेदार वाहन आभूषण खरीदते हैं, जिसे देखकर सबको हंसी आती है।)

Scene 8: नगर क्षेत्र

(राजू और दादी वाहन में सवार होकर नगर क्षेत्र में घूम रहे हैं। वे लोगों की आँखों में मुस्कान ला रहे हैं।)

राजू: दादी, यह तो मजा ही मजा है! हर किसी का मन खुश करने का अद्वितीय तरीका है!

दादी: हाँ, राजू, हंसी और खुशी दुनिया के सबसे अच्छे दवाएं हैं।

Scene 9: राजू का घर - लिविंग रूम

(राजू और दादी घर वापस आते हैं, जहां बाबू उनका इंतज़ार कर रहा होता है।)

बाबू: राजू, तुम्हारे साथ बिना मजा नहीं आता है।

राजू: हाँ, बाबू, लेकिन तेरे बिना भी मेरी ज़िंदगी बोर हो जाती है।

दादी: तुम दोनों बहुत ही शरारती हो, लेकिन तुम्हारी दोस्ती मुझे बहुत खुशी देती है।

(सभी मिलकर हंसते हैं, जबकि स्क्रीन धीरे-धीरे फेड़ होती है।)

Scene 10: राजू का घर - लिविंग रूम

(राजू, बाबू और दादी अपने घर में बैठे हुए हंसते हैं। तभी घर के दरवाजे पर अनोखे ढंग से एक आवाज सुनाई देती है।)

आवाज: ठग, रुको! मैं अपनी संगीनी लौटा रहा हूँ!

(राजू, बाबू और दादी हैरान हो जाते हैं और दरवाजे को खोलते हैं।)

चिंटू: हे भगवान! तुम लोग कैसे चुढ़ैलों से लड़ गए?

दादी: हाँ, ये तो बहुत ही खतरनाक और ख़ुफ़िया है! हम तो डर गए थे!

राजू: अरे, ये तो अपनी बीवी है! इसे कैसे भूल गया!

चिंटू: हाँ, यार, तुम तो बहुत ही भूलकड़ हो!

(सभी मिलकर हंसते हैं, साथ ही चिंटू की चुटकुलों पर भी हंसते हैं।)