भूत-पूर्वकथा: राम और सीता की पहचान

"भूत-पूर्वकथा: राम और सीता की पहचान" रामायण के पहले सर्गों में सजीव होती है, जहां राम और सीता की अद्वितीय पहचान का वर्णन होता है। इस अद्वितीय महाकाव्य में, वाल्मीकि महर्षि ने राम और सीता के पूर्व जीवन की कथा को महान रूप से चित्रित किया है।

यह कथा राम के पैदा होने से पहले की घटनाओं का वर्णन करती है, जिसमें राम के माता-पिता का आत्म-समर्पण, दशरथ राजा की यज्ञ के माध्यम से पुत्रप्राप्ति की कथा, और राम की भूमिजा से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाएं शामिल हैं।

"भूत-पूर्वकथा" में राम का बाल्यकाल, उनकी शिक्षा, और उनके धर्मपरायण जीवन का वर्णन है। यहां राम की पहचान उनके गुण, आचार्यों से मिले उपदेश, और उनके प्राकृतिक आत्मा के माध्यम से होती है।

सीता की पहचान में वाल्मीकि महर्षि ने उनके उत्कृष्ट गुण, सौंदर्य, और उनकी अनूठी प्रेम कहानी को बड़ी भक्ति भावना के साथ चित्रित किया है।

इस पूर्वकथा के माध्यम से, पाठक राम और सीता के चरित्र, उनके मार्गदर्शन, और उनके प्रेम के साथ जुड़े उन अनमोल सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को समझ सकते हैं जो रामायण को एक अद्वितीय कृति बनाते हैं।