तकनीकी प्रगति के साथ, नौकरियों में कैसे बदलाव हो रहा है और इसका समाज पर क्या प्रभाव हो सकता है?-Omnath Dubey

तकनीकी प्रगति के साथ नौकरियों में कई बदलाव हो रहे हैं और इनमें कुछ प्रमुख प्रभाव हो सकते हैं:

ऑटोमेशन: तकनीकी प्रगति ने कई कामों को ऑटोमेट कर दिया है, जैसे कि संशोधित उत्पादन प्रक्रियाएँ, डेटा एनालिटिक्स, और रोबोटिक प्रौद्योगिकी। इससे कुछ प्रकार के कामों का मानव हाथ से किया जाना बंद हो सकता है।

विनियमनीकरण: नौकरियों में विनियमनीकरण का अधिक प्रयोग हो रहा है, और इसमें ऑटोमेशन का भी प्रयोग हो रहा है। सांख्यिकीय और एल्गोरिदम्स के आधार पर कैरियर पथ के निर्धारण में तकनीकी माध्यम महत्वपूर्ण हो रहा है।

नौकरियों की नई श्रेणियाँ: नई प्रकार की नौकरियों का उत्थान हो रहा है, जिनमें तकनीकी ज्ञान, बिग डेटा, मशीन लर्निंग, और एआई की आवश्यकता होती है। संगणना, कैमरे, सेंसर्स की स्थापना और प्रबंधन, और डिज़ाइन के क्षेत्र में नौकरियों की वृद्धि हो रही है।

नौकरियों के नए योग्यता सेट: नौकरियों में नए योग्यता सेट की आवश्यकता हो रही है, जैसे कि डिजिटल ज्ञान, समस्या समाधान कौशल, संगणना, और तकनीकी अनुसंधान की क्षमता।

समय, स्थान और टेलीकम्यूटिंग की पुनरावलोकन: काम करने के तरीके में बदलाव हो रहा है, जैसे कि दूरस्थ काम करने की अनुमति, स्वतंत्र लेखा कामी, और टेलीकम्यूटिंग के माध्यम से काम करने का विकास।

यह बदलाव समाज पर विभिन्न प्रभाव डाल सकते हैं, जैसे कि उद्यमिता में वृद्धि, नौकरियों की संख्या में बदलाव, लेखा कामी की बढ़ती आवश्यकता, और विभिन्न क्षेत्रों में योग्यता की मांग में वृद्धि। इसके साथ ही नये तकनीकी परिप्रेक्ष्य को समझना और सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि समाज के सभी वर्ग इस बदलते माहौल में आने वाले चुनौतियों का सामना कर सकें।