एक गरीब बुजुर्ग व्यक्ति रामू और एक बड़े अमीर और घमंडी अफसर सुरेश की कहानी - Omnath Dubey


एक गरीब बुजुर्ग व्यक्ति नाम रामू और एक बड़े अमीर और घमंडी अफसर नाम सुरेश की कहानी है। रामू एक बहुत ही सरल और धैर्यशील आदमी था। वह अपने छोटे से घर में खुशी-खुशी रहता था, जबकि सुरेश अपनी धन-संपदा और सतही जीवनसैली के कारण घमंड से भरा हुआ था।


एक दिन, रामू को बड़ी सीख मिली। उसे यह दिखाई देता था कि सबका सम्मान करना और सहायता करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। वह जानता था कि धन और सम्मान का अंतर नहीं करना चाहिए। सुरेश भले ही अमीर हो गए थे, लेकिन वह गर्व और घमंड में डूबा रहता था।


एक दिन, रामू के पड़ोसी में एक बड़ा त्यौहार मनाया जा रहा था। रामू और उसका परिवार भी उस त्यौहार को धूमधाम से मनाने की तैयारी में थे। इस दौरान, रामू को याद आया कि उसके पड़ोसी सुरेश के घर में भी एक बहुत बड़ी समारोह हो रही है। रामू ने देखा कि उस समारोह की तैयारी भी बड़ी धूमधाम से हो रही है।


रामू ने अपने दोस्त से पूछा, "क्या हो रहा है यहां इतनी धूमधाम से?"


दोस्त ने कहा, "रामू भाई, यहां पर सुरेश अफसर ने एक अमीरी-शोभा समारोह आयोजित किया है। वे अपने व्यक्तिगत धन और सामर्थ्य को दिखाना चाहते हैं। उन्होंने सभी अमीर लोगों को निमंत्रित किया है और उन्हें बड़े अभिवादन से सम्मानित कर रहे हैं।"


रामू ने सोचा, "क्या यह सही है? धन के बल पर इतना अहंकार करना क्या सही है?"


उसके मन में एक विचार उभरा। उसने अपने परिवार को भी ले जाकर सुरेश के समारोह में भाग लेने का निर्णय किया। रामू और उसका परिवार ने भी अपने त्यौहार के सभी सामग्री को एक झोले में समेटकर सुरेश के घर चले गए।


जब रामू और उसका परिवार सुरेश के घर पहुंचे, तो वहां सभी अमीर लोग उन्हें देखकर हैरान रह गए। सुरेश भी चौंक गए क्योंकि उन्होंने नहीं सोचा था कि रामू और उसका परिवार उनके समारोह में आएंगे।


रामू ने अपने झोले को खोला और सभी को बधाई दी। उन्होंने अपनी धन-संपदा से नहीं, बल्कि अपने सदभाव और उदार दिल से सभी को सम्मानित किया। रामू का यह सरल और दयालु व्यवहार देखकर, सभी लोग सुरेश से ज्यादा रामू के प्रति खींचाव महसूस करने लगे।


सुरेश अफसर को यह देखकर बहुत ही अच्छा अनुभव हुआ। उन्होंने समझा कि धन के साथ-साथ सम्मान और दया भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। वे अपने घमंड को छोड़ दिया और रामू के साथ मिलकर त्यौहार मनाने लगे।


इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि धन-संपदा के बल पर घमंड करना गलत है। सच्चा सम्मान और सहायता करने से हम औरों के दिलों में जगह बना सकते हैं और सच्चे अर्थ में समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।


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लेखक - "ओमनाथ दुबे"

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