इस महीने में शिव जी की पूजा के लिए विशेष पूजा विधि होती है। लोग शिवलिंग की अभिषेक करते हैं, बिल्व पत्र चढ़ाते हैं और धूप, दीप, फूल आदि से पूजा करते हैं। सावन के सोमवार व्रत भी बहुत प्रसिद्ध हैं, जिसे शिव व्रत के रूप में जाना जाता है। इस व्रत में व्रती व्यक्ति सुबह से रात तक भोलेनाथ की पूजा करते हैं और अपने मनोकामनाएं मांगते हैं।
सावन के महीने में कई त्योहार भी मनाए जाते हैं, जैसे कि नाग पंचमी और कांवड़ यात्रा। नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा की जाती है और कांवड़ यात्रा में शिव के भक्त गंगा जल लेकर उनकी पूजा करते हैं।
सावन महीने के महत्वपूर्ण दिनों में से एक हैं श्रावण शुक्ला पक्ष की पूर्णिमा, जिसे राखी पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई बहन के बीच प्रेम और सन्तोष के बंधन को दर्शाता हैं।
सावन महीना आस्था, शक्ति और पवित्रता का प्रतीक है और यह हिन्दू समुदाय के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण समय होता है। इस महीने में शिव भक्ति और ध्यान करने से मान्यता है कि व्यक्ति मनोकामनाएं प्राप्त करता है और धार्मिक आदर्शों को बढ़ावा मिलता है।
सावन मास की पूजन विधि :-
सावन मास की पूजन विधि में भगवान शिव की पूजा का महत्वपूर्ण स्थान होता है। यहां पूजन की विधि का एक सामान्य अवलोकन दिया जा रहा है, लेकिन धार्मिक प्रथाओं और परंपराओं में यह विधि विभिन्न संप्रदायों और क्षेत्रों में भिन्न हो सकती है।
पूजा सामग्री की तैयारी: पूजा के लिए शुद्ध जल, धूप, दीप, फूल, फल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, तुलसी का रस) और नागरमोथा (बिल्व पत्र) की पत्तियां आदि की तैयारी करें।
शिवलिंग की स्थापना: एक शुद्ध कपड़े से या वस्त्र से शिवलिंग की स्थापना करें। शिवलिंग के ऊपर थोड़ा सा जल छिड़कें।
पूजा का आरंभ: अपने सामग्री को शिवलिंग के सामने रखें। अपने हाथों को धोकर पूजा के लिए तैयार हो जाएं।
अभिषेक करें: शिवलिंग को जल से अभिषेक करें और पंचामृत के साथ अभिषेक करें। यह अभिषेक पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और शिव के आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायता करता है।
धूप और दीप: धूप और दीप जलाएं और उनका आरती करें।
मंत्र जाप: शिव मंत्रों का जाप करें, जैसे "ॐ नमः शिवाय" और अन्य शिव मंत्रों का जाप करें।
भजन और कीर्तन: भजन और कीर्तन करें, जिसमें शिव के गुणों की प्रशंसा होती है।
प्रसाद: पूजा के बाद भगवान को प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। इसे व्रत करने वाले और अन्य लोगों के बीच बांटें।
यह सावन मास की पूजन विधि का एक सामान्य अवलोकन है। पंडित या आपके परिवार के पुराने संयोग से संबंधित व्यक्ति से पूरी विधि और नियमों की जानकारी प्राप्त करना उचित होगा।
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