देश का प्रथम डुगोंग संरक्षण रिजर्व की तमिलनाडु मे हुई स्थापना

हेलो दोस्तों नमस्कार आज के इस ब्लॉग में आपका स्वागत है, आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि देश का प्रथम डुगोंग संरक्षण रिजर्व के बारे में......

डुगोंग कि अगर हम बात करें तो डुगोंग एक शाकाहारी स्तनपायी जलीय जीव है जो कि समुद्री गाय के नाम से जाना जाता है !! वैज्ञानिक परिदृश्य से इसका वैज्ञानिक नाम डुगोंग डुगोंन है !! इस शाकाहारी स्तनपायी जलीय जीव की  लंबाई 3 मीटर तक हो सकती है एवं इसका वजन लगभग 300 किलोग्राम के बराबर होता है !! इस जीव का भोजन समुद्री घास है तथा सांस लेने के लिए यह सतह पर आते हैं !! शाकाहारी स्तनपायी जलीय जीव डुगोंग एक समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है !! इस जीव के पर्यावास कि अगर हम बात करें तो वर्तमान में डुगोंग 30 से अधिक देशों में पाए जाते हैं यह भारत के मन्नार की खाड़ी, पाक की खाड़ी, अंडमान एवं निकोबार के साथ-साथ कच्छ की खाड़ी में भी पाए जाते हैं !! भारतीय वन्यजीव संस्थान के अनुसार बताया गया है कि भारतीय परिदृश्य के रूप में देखा जाए तो डुगोंग भारत में लगभग 240 मौजूद हैं जोकि अधिकांश तमिलनाडु के तट जिसे पाक की खाड़ी कहा जाता है में पाए जाते हैं अब हम बात करेंगे यह वर्तमान में चर्चा का विषय क्यों बना आपको बता दें कि 21 सितंबर 2022 को तमिलनाडु की सरकार द्वारा देश के प्रथम डुगोंग संरक्षण रिजर्व को स्थापित किया गया है !! जिसकी वजह से यह चर्चा का विषय बना हुआ है, प्राप्त जानकारी के मुताबिक 3 सितंबर 2021 को तमिलनाडु सरकार द्वारा इस डुगोंग संरक्षण रिजर्व की स्थापना की घोषणा की गई थी इस रिजर्व का विस्तार कुल 448 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में किया गया है जोकि तंजावुर और पुडुकोटटई जिलों के तटीय जल को आच्छादित करता है !! इस रिजर्व के संरक्षण की बात करें तो यह अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा जारी की जाने वाली लाल सूची में Vulnerable श्रेणी के अंतर्गत शामिल किया जा चुका है !! अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह CITES की परिशिष्ट एक में सूचीबद्ध है जिसके अंतर्गत यह कानूनी तौर पर प्रजातियों और उसके अंगों के व्यापार को प्रतिबंधित करता है साथ ही साथ भारत में भी भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 के तहत संरक्षण प्रदान किया गया है जिसके तहत इस जीव के  शिकार और मांस खरीद पर प्रतिबंध लगाया गया है !! इस जलीय जीव के संरक्षण में समुद्री घास के विस्तारों को बचाने और सुधारने में सहायता प्राप्त होंगी !! साथ ही साथ अत्याधिक वायुमंडलीय कार्बन को अलग करने में मदद भी मिलेगी !!