पृथ्वी विज्ञान योजना: सरकार ने की लागत की मंजूरी, नई दिशा में उत्थान का काम

नई दिल्ली : सरकार ने चार हजार सात सौ 97 करोड़ रुपये की लागत से 'पृथ्वी विज्ञान योजना' को लागू करने का फैसला किया है, जो भू-प्रणाली, समुद्र, भू-मण्डल, हिम-मण्डल, और पृथ्वी के ठोस हिस्सों का दीर्घकालिक अवलोकन करने का उद्देश्य रखती है। इसमें विभिन्न स्कीमें शामिल हैं, जैसे कि वातावरण और जलवायु अनुसंधान, समुद्री सेवाएं, मॉडलिंग एप्लीकेशन, संसाधन और प्रौद्योगिकी, पोलर साइंस एंड क्रायोस्फेयर्स रिसर्च, और अनुसंधान, शिक्षा, प्रशिक्षण और आउटरीच।

यह योजना भू-प्रणाली और परिवर्तन के महत्वपूर्ण संकेत रिकॉर्ड करने के लिए, वातावरण, समुद्र, भू-मण्डल, हिम-मण्डल, और पृथ्वी के ठोस हिस्सों का दीर्घकालिक अवलोकन करने का उद्देश्य रखती है। इसका उद्देश्य भू-प्रणाली और परिवर्तन के महत्वपूर्ण संकेत रिकॉर्ड करने के लिए है ताकि जलवायु परिवर्तन, बुरा वातावरण, और जलवायु सम्बंधित खतरों का बेहतर अनुमान लगाया जा सके।

सूचना और प्रौद्योगिकी में विकास, संसाधन और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नई ऊर्जा भारत को वैश्विक रूप से पहचानने में मदद करेगा। इसके अलावा, शिक्षा, प्रशिक्षण और आउटरीच क्षेत्र में विकसित कार्यक्रमें भारतीय जनता को इस विज्ञान योजना के महत्वपूर्ण पहलुओं से जोड़ने में मदद करेगा।

पृथ्वी विज्ञान योजना के लागू होने से भू-प्रणाली और परिवर्तन के लिए नई ऊर्जा का संचार होगा, जिससे विभिन्न सेक्टरों में नई दिशा में उत्थान हो सकता है।